समंदर सारे शराब होते तो सोचो कितने फसाद होते ,,
गुनाह न होते सिर्फ सवाब होते तो सोचो कितने फसाद होते ,,
किसी के दिल में क्या छुपा है बस ये खुदा ही जनता है ,,
दिल अगर बे नक़ाब होते तो सोचो कितने फसाद होते ,,
थी ख़ामोशी फितरत हमारी तभी तो बरसों भी निभा गये ,,
अगर हमारे मुंह में भी जवाब होते तो सोचो कितने फसाद होते ,,
हम अच्छे थे पर लोगों की नज़र मैं सदा रहे बुरे ,,
कहीं हम सच में खराब होते तो सोचो कितने फसाद होते |||
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें