आँखें तालाब नहीं फिर भी भर आती हैँ,

कमाल है ना........
आँखें तालाब नहीं फिर भी भर आती हैँ,
दुश्मनी बीज नहीं फिर भी बोयी जाती है,
होंठ कपड़ा नहीं फिर भी सिल जाते हैँ,
किस्मत सखी नहीं फिर भी रुठ जाती है,
बुद्धि लोहा नहीं फिर भी जंग लग जाती है,
आत्मसम्मान शरीर नहीं
.................फिर भी घायल हो जाता है
और
इन्सान मौसम नहीं फिर भी बदल जाता है........???

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